पहलगाम के शहीदों एवं बीकानेर के कीर्तिशेष साहित्यकारों की याद में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरा आयोजित किया गया

पहलगाम के शहीदों एवं बीकानेर के कीर्तिशेष साहित्यकारों की याद में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरा आयोजित किया गया

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नगर के हिंदी,उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के 25 रचनाकारों ने अपना कलाम पेश करके पहलगाम के शहीदों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को ख़िराजे-अक़ीदत पेश की

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पहलगाम के शहीदों एवं बीकानेर के कीर्तिशेष साहित्यकारों की याद में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरा आयोजित किया गया
पहलगाम के शहीदों एवं बीकानेर के कीर्तिशेष साहित्यकारों की याद में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरा आयोजित किया गया

बीकानेर 30 अप्रैल, 2025

   पहलगाम में हुए आंतकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले शहीदों एवं बीकानेर के कीर्तिशेष साहित्यकारों की याद में श्रद्धांजलि स्वरुप एक कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे का आयोजन बीकानेर साहित्य समाज द्वारा महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी, नागरी भण्डार, स्टेशन रोड में रखा गया ।

    कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे के समन्वयक बुनियाद ज़हीन एवं संयोजक क़ासिम बीकानेरी ने संयुक्त रूप से बताया कि कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे के अध्यक्ष मंडल में शामिल वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी, वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा एवं वरिष्ठ शायर ज़ाकिर अदीब ने अपने कलाम एवं अपने उद्बोधन द्वारा पहलगाम के शहीदों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

     अध्यक्ष मंडल में शामिल वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि पहलगाम आंतकी हमले की जितनी निंदा की जाए वह कम है। नगर के साहित्यकारों ने आंतकी हमले में शहीद हुए निर्दोष भारतीय नागरिकों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को याद करके एक साहित्यकार होने के फ़र्ज़ का ज़िम्मेदारी से निर्वहन किया है।

    अध्यक्ष मंडल में शामिल वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि आज के आयोजन में कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे के रूप में नगर के रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने ज़िंदा होने का सबूत पेश किया है। आज का आयोजन नगर की क़ौमी एकता की जड़ों को और अधिक मज़बूत करने में कामयाब होगा।

      अध्यक्ष मंडल में शामिल वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से जहां बीकानेर स्थापना दिवस पर पतंग के महत्व को रेखांकित किया, वहीं अपने उद्बोधन के ज़रिए आंतकी हमले की पुरज़ोर लफ़्ज़ों में मज़म्मत की।

    ज़हीन और क़ासिम ने बताया कि पहलगाम के शहीदों एवं बीकानेर के दिवंगत साहित्यकारों की याद में आयोजित हुए इस कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के 25 रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से पहलगाम के शहीदों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को खिराजे अक़ीदत पेश की। कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे में बुनियाद ज़हीन,डॉ.ज़ियाउल हसन क़ादरी, वली मोहम्मद ग़ौरी, क़ासिम बीकानेरी,असद अली असद, जुगल किशोर पुरोहित,श्रीमती इंद्रा व्यास, इस्हाक़ ग़ौरी शफ़क़, एडवोकेट इसरार हसन क़ादरी, एडवोकेट गंगाविशन बिश्नोई 'ब्रह्मा', इमदाद उल्लाह 'बासित', सागर सिद्दीक़ी, विप्लव व्यास, बाबूलाल छंगाणी, मोइनुद्दीन मुईन, अब्दुल जब्बार जज़्बी, माजिद ख़ान ग़ौरी, हनुमन्त गौड़ नजीर, शमीम अहमद शमीम तथा लीलाधर सोनी सहित अनेक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पहलगाम के शहीदों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को ख़िराजे-अक़ीदत पेश की।

      कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे में डूंगरगढ़ से पधारे रामचंद्र,सेवानिवृत्त सहायक निदेशक सुनील बोगिया, हरिकृष्ण व्यास, डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान,आत्माराम भाटी,एन.के.आचार्य, गोपाल गौतम सहित अनेक साहित्य एवं कलानुरागी उपस्थित थे।

      प्रारंभ में स्वागत भाषण वली मोहम्मद ग़ौरी ने दिया जबकि अंत में आभार डॉ.ज़ियाउल हसन क़ादरी ने ज्ञापित किया। अंत में उपस्थित रचनाकारों एवं आगंतुकों द्वारा 2 मिनट का मौन रखकर पहलगाम के शहीदों एवं नगर के कीर्तिशेष साहित्यकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

      कार्यक्रम का संचालन क़ासिम बीकानेरी एवं जुगल किशोर पुरोहित संयुक्त रूप से किया।

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