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राष्ट्रीय कवि चौपाल में ऋषि संत गुरुजनों का हुआ सम्मान |
गुरु ही है जो अज्ञान अंधेरे, संशय घनेरे, दुर्गुणों से दूरी बढ़ाते हुए प्रभो से कालजयी सान्निध्य बनाए देता है
विकार मुक्त, तत्व से युक्त अर्थ सुक्त से तीनों सद्गुणों से संजोते हैं गुरु देव..
बलिहारी गुरु आपणे गोविंद दियो बताय का गहन मर्म समझना ही शिष्यत्व है,
अर्जुन की तरह शरणागत शिष्य का ही कल्याण संभव है...
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राष्ट्रीय कवि चौपाल में ऋषि संत गुरुजनों का हुआ सम्मान |
गुरु पूर्णिमा महोत्सव 2 .. राष्ट्रीय कवि चौपाल की 524 वीं कड़ी *बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय* को समर्पित रही, इस विशिष्ट सरस्वती सभा में शिव मठ के महन्त जी महाराज *स्वामी विमर्शानन्द जी महाराज, डॉ कृष्ण लाल विश्नोई, डॉ गौरव जी बिस्सा एवं श्री मती स्नेहा जी पारीक* आदि मंच सुशोभित हुआ
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार दोहा सम्राट डॉ कृष्ण लाल विश्नोई ने बलिहारी गुरु आपणे गोविंद दियो बताय का गहन मर्म समझना ही शिष्यत्व है, आज़ के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतिथि शिव मठ महंत स्वामी श्री विमर्शानन्द गिरि महाराज ने स्व बौद्धिक में बताया एक मात्र गुरु ही है जो अज्ञान अंधेरे, संशय घनेरे, दुर्गुणों से दूरी बढ़ाते हुए कालजयी प्रभो सान्निध्य बनाए देता है तभी तो भारत वर्ष के अलावा आज़ तक विश्व गुरु बनने का स्वप्न भी नहीं देख सकता यानी भारत आज़ भी विश्व गुरु है.. विशिष्ट अतिथि डॉ गौरव बिस्सा ने स्व बौद्धिक में बताया कि विकार मुक्त, तत्व से युक्त अर्थ सुक्त से तीनों सद्गुणों से संजोते हैं गुरु देव.. चला था एक दिपक लेकर, अंधेरे को रोशन करने ... श्री मती स्नेहा पारिक : जहां सद्गुणों युक्त सदगुरु सुलभ हो ऐसा परम सोभाग्य शिष्य का लेकिन अर्जुन की तरह शरणागत शिष्य का ही कल्याण संभव है... इससे पुर्व श्री मती कृष्णा वर्मा ने मां सरस्वती वंदना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया
रामेश्वर साधक : जीना कैसे? जगद्गुरु श्री कृष्ण ने गीता में,जीते जी मरना, मर के अमर हो जाना सिखाया है,.. बाबू बमचकरी भले ही म्हारी मां पढियोडी़ कोनी, पण म्हारी मां जेडी़ मां कठेई देखी कोनी, .. कैलाश टाक : गम तो गम है हल्का क्या गहरा क्या, मेरा गम मेरा है तेरा क्या,... माजिद खान माजिद : इक रोज़ आंधियों से बग़ावत की मैंने सारी रात चराग जलाए रखा हमने,... शकूर बिकाणवी : ज़िंदगी भर सताया क्या हुआ,...
शिव दाधीच: दुःख दर्द सहते हे मन पिडा़एं गाते हैं, लोगों के चेहरों पर तब मुस्कानें लाते हैं। कासिम बीकानेरी : ता'लीम के ज़ेवर से बच्चों को सजाना है, इंसान हमें अच्छा बच्चों को बनाना है। श्री मती मधुरिमा सिंह : शिष्य को भी पतंगे की तरह लक्ष्य में दृढ़ निश्चयी होना चाहिए, चाहे जल भी क्यों न जाएं, .. कृष्णा वर्मा : मात पिता गुरु चरणों में दंडवत बारम्बार, हम पर किया बड़ा उपकार, मनमोहन कपूर : गीत गाता हूं संगीत गाता हूं मैं,... इसरार हसन कादरी: तनी तनी रस्सियों के बीच जीने से क्या होगा अरे..! दिल की बात करो तो जानें,... कैलाश चारण : गुरु बिन घोर अंधेरा साधु रे... पवन चड्ढ़ा : ज्योत से ज्योत जलाते चलो प्रेम की गंगा..राजू लखोटिया : ये परदा हटादो, जरा मुखड़ा दिखा दो बांसुरी धून सुनाकर सदन का मन मोह लिया
आज के विशिष्ट कार्यक्रम में 18 साहित्य वृंद की सहभागिता रही एवं डॉ शंकर लाल सोनी, बाल मुकुंद मोदी, पुष्पा गुप्ता, सुभाष विश्नोई, सिराजुद्दीन परमेश्वर सोनी, घनश्याम सोलंकी, विमला राजपुरोहित निसार अहमद, दशरथ सोलंकी, शिव सिंह राठौड़, सीताराम, महबूब अली आदि कई साहित्यानुरागी श्रोता महानुभावों की उपस्थिति रही
आज के कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया आभार डॉ कृष्ण लाल विश्नोई साहब ने किया l
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