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| व्यक्ति अष्टांग योग अपनाकर स्थिति प्रज्ञ-योगी बन सकता है... |
शरीर प्रकृति से जुड़ना योग हैं और वैचारिक प्रकृति से जुड़ाव साहित्य...
भाषा, भोजन, भजन, भेषज, भूषा इन पांच भ के उद्धार में भारत में कोई क्षति नहीं
"समत्व योग उच्यते" यानी जहां संतुलन है वहां लयबद्धता है अद्वन्द योग है
स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम.. राष्ट्रीय कवि चौपाल की 521 वीं कड़ी *अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस व कवि बंकिमचंद्र चटर्जी* को समर्पित रही। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ वत्सला जी गुप्ता, ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि *शरीर प्रकृति से जुड़ना योग हैं और वैचारिक प्रकृति से जुड़ाव साहित्य* जब योग और साहित्य दोनों का समन्वय होता है, तो व्यक्ति न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, मुख्य अतिथि श्री श्री रत्न तंबोली ने कहा कि "समत्व योग उच्यते" यानी जहां संतुलन है वहां लयबद्धता है अद्वन्द योग है रोगों का सुत्रपात पहले मानव मन से होता है व्यक्ति अष्टांग योग अपनाकर स्थिति प्रज्ञ-योगी बन सकता है... विशिष्ट अतिथि योगनिष्ठ श्री चन्दन सोनी ने योग एवं संस्कृति संगठन संदर्भ बताया... विदेशी ताकत को आश्चर्य कि भारत शताब्दियों लुट जाने के बाद भी समृद्ध कैसे हैं सर्वे में पाया कि भाषा, भोजन, भजन, भेषज, भूषा इन पांच भ के उद्धार में भारत में कोई क्षति नहीं पहुंच सकती.. इससे पूर्व रामेश्वर साधक ने वेद विद्या जगती लुप्ता प्रायश: परमेश्वर अंधता जगती तताया,, ईश प्रार्थना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया
वैद्य विद्या सागर पंचारिया :- योग भारतीय परंपरा का प्राचीन उपहार है। वह योग आत्म दर्शन का साक्षात्कार है। शिव दाधीच : स्वार्थ की चिंगारी जब शोला बन जाती है, रिश्तों को वो तार तार कर मन में आग लगाती है.. कृष्णा वर्मा : मन मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता ऐसा योग हमारा.. कासिम बीकानेरी : हिंदू मुस्लिम,जैन सिख, बने रहें हम भाई .. तो आपस में फिर कभी होगी नहीं लड़ाई..लीलाधर सोनी : नारी नाना रूप धरे रे सुबह गाय शाम सिंघणी.. शिवप्रकाश शर्मा .. 90 साल का इंसान फिर भी वह जवान.. सिराजुद्दीन भुट्टा : धन से बेशक हम गरीब पर दिल से धनवान .. झौपड़ी द्वार पर सुस्वागतम.. बंगलों पर लिखे कुत्तों से सावधान दार्शनिक रचना सुनाकर सदन में दाद बटोरी
रामेश्वर साधक : आहा खिल खिलाती चह चहाती मेरी मौत आई रे.. धर्मेंद्र राठौड़ :- ढलती रही ये ज़िन्दगी गुजरते चली गई,.. शमीम अहमद : ऐ दुनिया के माली बागवा के माली .. कैलाश दान चारण दो दिन का मेला सब चला चली का खेला
. बाबू बमचकरी : योग में योग देखें, स्वस्थता प्रसन्नता समृद्धता में सबसे बड़ा योग हास्य योग है.. पवन चड्ढ़ा : लौट के आ.. आ लोट के आजा मेरे मीत.. राजू लखोटिया मेरा दिल ये पुकारे आजा बांसुरी धून सुनाकर सदन का मन मोह लिया
आज के कार्यक्रम में सत्य प्रकाश हिंदुस्तानी सुकांत किराडू, पवन जैन, परमेश्वर सोनी, नत्थू खां, आदि कई गणमान्य कवि वृंद साहित्यानुरागी उपस्थित रहे आज चुटिले अंदाज में कार्यक्रम का बखूबी संचालन बाबू बमचकरी ने किया आभार रामेश्वर साधक ने व्यक्त किया l
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