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कई रूंखडा़ म्हारा बेटा दांई, तो कई रूंखडा़ मां दांई.. गर मानव बनना है तो पेड़ की तरह कटकर ...राष्ट्रीय कवि चौपाल की 518 वीं कड़ी विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस को समर्पित रही |
आज ये मौसम बदला रहा है शायद तुम्हारे दिल में कुछ चल रहा है
राष्ट्रीय कवि चौपाल की 518 वीं कड़ी विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस को समर्पित रही आज के कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल विश्नोई, मुख्य अतिथि में डॉ हरमीत सिंह, एवं विशिष्ट अतिथि में
अपने संस्थान के विभाग संयोजक श्री भुवनेश यादव मंच शोभित हुए,कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल विश्नोई :- कई रूंखडा़ म्हारा बेटा दांई, तो कई रूंखडा़ मां दांई, डॉ हरमीत सिंह :- शारीरिक पर्यावरण संरक्षण.. करें दुःख दर्द का हरण.. भुवनेश यादव :- जन जल जंगल जमीन जानवर, सदुपयोग में पांचों पर्यावरण का करें अनावरण पर शानदार बौध्दिक हुआ, इससे पुर्व श्री मती कृष्णा वर्मा ने है शारदे मां हे शारदे मां.. मां सरस्वती प्रार्थना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया
रामेश्वर साधक :- काश..! बच्चों के बदले पेड़ों को पाल लिया होता.. कासिम बीकानेरी :-झेलम, चनाब, रावी हो, सतलज हो या हो व्यास .. पंजाब को हसीन बनाती हरिक नदी.. कैलाश टाक :- गर मानव बनना है तो पेड़ की तरह कटकर किसी के काम आएं.. डॉ महेश चुघ:- व्यथा पेड़ों की विरानों में दूर-दूर चुपचाप खडे़ .. श्री मती मधुरिमा सिंह :- धरती पर उपकार करो पर्यावरण से स्व उद्धार करो.. श्रीमती कृष्णा वर्मा :- मानव और प्रकृति के बीच सम्बन्ध बहुत पुराना है दार्शनिक रचना सुनाकर साहित्य सभा का समां बांध दिया
सिराजुद्दीन भुट्टा :- पेड़ फल देते हैं फूल देते हैं, .. माजिद खान :- आज ये मौसम बदला रहा है शायद तुम्हारे दिल में कुछ चल रहा है.. तुलसी राम मोदी :- रात गई सो बात गई दिन में हें बात नयी
कैलाश दान चारण :- सुमिरन करले मौरे मन.. छिजे उम्र हरि नाम बिना.. पवन चड्ढा :- गंगा मैया में पानी रहे मेरे सजना.. आध्यात्म गीत सुनाकर वाह वाह बटोरी
आज के कार्यक्रम में परमेश्वर सोनी, नत्थू खां, निसार, आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया